Monika garg

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लेखनी कहानी -14-Nov-2022# यादों के झरोखों से # मेरी यादों की सखी डायरी के साथ

हैलो सखी।
  
  कैसी हो। आज मन ठीक नही है । आज मै तुमसे रिश्तों और भगवान की बात करना चाहती हूं ।इस दुनिया मे सब मतलब के यार होते है।खास कर बड़े शहरों मे तो लोग मतलब निकलने के बाद पहचानते भी नही है।कल ही हमारी सोसायटी से एक लेडी का फोन आया मेरे पास शोप पर ।उसे फेब्रिक लेना था । गर्मी के काटन के कुर्ती के पीस चाहिए थे । पहले कभी पास से निकलती तो हाय हेलो करना भी मुनासिब नही समझती थी और कल फोन करके पूछती है "और मोनिका जी कैसी हो " दो चार इधर उधर की बातें करके सीधा प्वाइंट पर आ गयी कि कुर्ती के पीस है।
अरे यहां ही क्यों आज कल खून के रिश्तों मे भी ये देखा जाता है कि इसकी पाकेट कितनी भारी है उसका उतना ही सम्मान होता है । मैंने बताया था ना कि मेरे ताऊजी की लड़की अपनी लड़की की शादी कर रही है वो करोड़ पति है तो मेरे मायके से व मेरी बहन को उन लोगों ने बुलाया मुझे नही। ताऊजी की लड़की का भी एक मतलब है मेरे मायके वालों को बुलाने का उसकी खुद के भाईयों से नही बनती तो भाई तो चाहिए ही शादी मे ।मामा वाली रीत कौन करेगा।देखना वो अपने छोटे लड़के की शादी के बाद भूल जाएगी मेरे मायके वालों को।सब अपना मतलब निकालते है।फिर इंसान संसार से दुखी होता भगवान की शरण मे जाता है।सखी कया भगवान के घर भी भेदभाव होता है? अगर होता होगा तो मानव कहा जाकर अपना दुःख कहे।चलो अब दिख नही रहा क्या लिख रही हूं आसूंओ के कारण। अब अलविदा।

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3 Comments

Muskan khan

07-Dec-2022 07:08 PM

बहुत खूब

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Gunjan Kamal

07-Dec-2022 09:30 AM

Nice

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Parangat Mourya

06-Dec-2022 11:58 PM

Nice 👍

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